Mobile Addiction: एम्स के रिसर्च में हुआ बड़ा खुलासा, मोबाइल की लत से बच्चों में हो रही है ये गंभीर बीमारी।

“Mobile Addiction से बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ रहे गंभीर प्रभाव। जानें एम्स भोपाल की रिसर्च, वर्चुअल ऑटिज्म के मामले, डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइंस और स्क्रीन टाइम को सीमित करने के उपाय।”

मोबाइल फोन और स्क्रीन टाइम की बढ़ती आदत बच्चों और किशोरों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल रही है। एम्स भोपाल (AIIMS Bhopal) द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ है कि मोबाइल की लत से बच्चे कई गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।  

एम्स भोपाल की रिसर्च के मुख्य निष्कर्ष

कोरोना महामारी के बाद, बच्चों और किशोरों की मानसिक स्थिति को समझने के लिए एम्स भोपाल ने दो वर्षों तक अध्ययन किया। अध्ययन में यह भी पाया गया कि अधिकांश किशोरों में एक से अधिक मानसिक समस्याएं मौजूद हैं।  

किशोरों में मानसिक समस्याएं:

  • 33.1% किशोर डिप्रेशन से पीड़ित हैं।  
  • 24.9% किशोरों में चिंता के लक्षण पाए गए।  
  • 56% किशोरों में उतावलापन और  
  • 59% किशोरों में गुस्से की अधिकता देखी गई।

7 साल के बच्चे पर मोबाइल की लत का खतरनाक असर

भोपाल के 7 वर्षीय सूर्यांश दुबे की कहानी ने Mobile Addiction के खतरों को उजागर किया है। सूर्यांश दिन में 8 घंटे मोबाइल का उपयोग करता था, जिसके कारण वह वर्चुअल ऑटिज्म डिसऑर्डर से पीड़ित हो गया।  

नतीजे:

  • बोलने की क्षमता खो गई।  
  • अजीब तरह की आवाजें निकालने लगा।  
  • लाखों रुपये के इलाज के बाद अब स्थिति में थोड़ा सुधार है।  

सूर्यांश के परिवार ने स्क्रीन टाइम को घटाकर आधे घंटे तक सीमित कर दिया, जिससे अब वह धीरे-धीरे बोलना और पढ़ाई करना सीख रहा है।  

मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों की राय

डॉ. अनुराधा कुशवाहा (चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट और शोधकर्ता) के अनुसार,  

  • छोटे बच्चों में ऑटिज्म और डिले स्पीच जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।  
  • किशोरों में चिड़चिड़ापन, आक्रामकता और मोटापा आम हो गया है।  
  • माता-पिता स्क्रीन टाइम को सीमित रखने के महत्व को नहीं समझते, जिससे बच्चे बोलना देर से सीखते हैं।  

डब्ल्यूएचओ (WHO) की स्क्रीन टाइम गाइडलाइंस 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बच्चों के स्क्रीन टाइम को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश दिए हैं:  

1. 2 साल से कम उम्र: बच्चों को स्क्रीन से पूरी तरह दूर रखना चाहिए।  

2. 2-5 साल की उम्र: स्क्रीन टाइम 1 घंटे से अधिक नहीं होना चाहिए।  

3. 5 वर्ष से अधिक और किशोर: स्क्रीन टाइम को अन्य शारीरिक और मानसिक गतिविधियों के साथ संतुलित रखना चाहिए।  

Mobile Addiction से बचाव के उपाय

Mobile Addiction से बचाओ में माता-पिता की भूमिका 

1. बच्चों को परिवार के साथ अधिक समय बिताने के लिए प्रेरित करें।  

2. शारीरिक गतिविधियों और खेल-कूद को बढ़ावा दें।  

3. स्क्रीन टाइम को दिन में 1-2 घंटे तक सीमित करें।  

4. स्क्रीन के बिना बातचीत और पढ़ाई को बढ़ावा दें।  

Mobile Addiction से बचाओ में शिक्षकों की भूमिका

1. स्कूलों में स्क्रीन टाइम और मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता अभियान चलाएं।  

2. छात्रों को समूह में काम करने और शारीरिक खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित करें।  

टेक्नोलॉजी की दुनिया और मानसिक स्वास्थ्य पर खतरा  

एम्स भोपाल के डायरेक्टर डॉ. अजय सिंह ने बताया कि तकनीकी प्रगति के इस युग में स्क्रीन एडिक्शन से मानसिक और शारीरिक समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। इसके लिए संस्थान में मानसिक स्वास्थ्य के इलाज और वेलनेस सेंटर जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।  

समाज की भूमिका: एक सामूहिक जिम्मेदारी

1. अभिभावकों और शिक्षकों का सहयोग: बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें।  

2. जागरूकता अभियान: समाज में Mobile Addiction के प्रति जागरूकता फैलाएं।  

3. सरकारी पहल: सरकार को मोबाइल एडिक्शन ( Mobile Addiction ) से बचाव के लिए गाइडलाइंस और कैंपेन चलाने चाहिए।  

मोबाइल का अत्यधिक उपयोग बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में बाधा डाल सकता है। माता-पिता, शिक्षक, और समाज मिलकर इस समस्या का समाधान कर सकते हैं। स्क्रीन टाइम को नियंत्रित कर और बच्चों को रचनात्मक गतिविधियों में शामिल कर, Mobile Addiction जैसी गंभीर समस्या से बचा जा सकता है।

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