Farha Nishat Success Story: देशद्रोह के आरोप में जेल में बंद भाई, बहन बनीं जज।  

“32वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में Farha Nishat ने सफलता पाई, जिनके भाई शरजील इमाम देशद्रोह के आरोप में जेल में हैं। जानें उनकी प्रेरणादायक कहानी।”

32वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा 2024 का परिणाम गुरुवार को जारी हुआ है, और यह खबर बिहार के एक ऐसे परिवार के लिए खास बन गई, जहां एक भाई देशद्रोह के आरोप में जेल में बंद है और बहन ने जज बनकर घर का नाम रौशन किया।  

यह परिवार है शरजील इमाम का, जो दिल्ली दंगों में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में जेल में बंद हैं। उनकी बहन फरहा निशात (Farha Nishat) ने 32वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा पास कर जज बनने का गौरव प्राप्त किया है।  

सोशल मीडिया पर साझा की खुशी  

फरहा की इस सफलता की जानकारी उनके छोटे भाई मुजम्मिल इमाम ने सोशल मीडिया पर साझा की। उन्होंने लिखा:  

“जिंदगी का यही फलसफा है। एक तरफ भाई ज़ुल्म के खिलाफ इंसाफ की लड़ाई लड़ने के खातिर जेल में बंद है, तो दूसरी तरफ बहन ज़ुल्म के खिलाफ इंसाफ देने के लिए जज की कुर्सी पर बैठेंगी। फरहा ने आज हमें गर्व करने का मौका दिया है।”  

Farha Nishat का सफर  

फरहा निशात का यह सफर आसान नहीं था। एक तरफ परिवार को शरजील इमाम के केस से जुड़े विवादों का सामना करना पड़ा, तो दूसरी तरफ उन्होंने अपनी पढ़ाई पर फोकस बनाए रखा। फरहा की मेहनत और लगन का नतीजा है कि आज उन्होंने न्यायिक सेवा परीक्षा में सफलता पाई।  

शरजील इमाम पर क्या हैं आरोप?  

शरजील इमाम पर दिल्ली दंगों में भड़काऊ भाषण देने और दंगा भड़काने का आरोप है। उनके खिलाफ यूएपीए की धारा 13 और राजद्रोह के तहत मामला दर्ज किया गया है।  

जनवरी 2020 में शरजील को गिरफ्तार किया गया था। उन पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है।  

मुजम्मिल इमाम: परिवार के संघर्ष का चेहरा  

मुजम्मिल इमाम, जो पेशे से पत्रकार और राजनीतिज्ञ रह चुके हैं, ने अपने भाई के मामले में हमेशा खुलकर पक्ष रखा। वे जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के पूर्व महासचिव और प्रवक्ता रह चुके हैं।  

शरजील की गिरफ्तारी के बाद भी मुजम्मिल ने अपने भाई का समर्थन किया और उसे “समाज और वतन के बारे में सोचने वाला दीवाना” कहा।  

फरहा की सफलता का संदेश  

Farha Nishat की इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया कि कठिन परिस्थितियों में भी सफलता हासिल की जा सकती है। उनका यह कदम न्याय की मिसाल पेश करेगा और उनके भाई के संघर्ष को एक नया अर्थ देगा।  

जज बनने के बाद Farha Nishat की चुनौतियां  

फरहा के सामने अब चुनौती है कि वे अपने कार्यकाल में निष्पक्षता और ईमानदारी से काम करें। परिवार और समाज को उनसे उम्मीद है कि वे अपने फैसलों के माध्यम से न्याय की नई मिसाल कायम करेंगी।  

समर्पण और प्रेरणा की कहानी  

Farha Nishat की कहानी यह दिखाती है कि व्यक्तिगत संघर्ष और सामाजिक दबावों के बावजूद, अगर किसी के इरादे मजबूत हों, तो उसे सफलता से कोई नहीं रोक सकता। उनकी यह सफर उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रयासरत हैं।  

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