“IPS Kuhoo Garg Success Story: जानें बैडमिंटन खिलाड़ी से आईपीएस अधिकारी बनने तक कुहू गर्ग की प्रेरणादायक कहानी। संघर्ष, मेहनत और सफलता की इस कहानी से पाएं जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा।”
IPS Kuhoo Garg के सफलता की कहानी एक प्रेरणा है कि कैसे कठिनाइयों को हराकर नए अवसरों को गढ़ा जा सकता है। 17 मेडल जीतने वाली एक अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी कुहू गर्ग ने एक गंभीर चोट के बावजूद अपनी मंजिल बदली और अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास कर आईपीएस अधिकारी बनीं।
IPS Kuhoo Garg की शुरुआती जीवन और पढ़ाई
देहरादून में जन्म और परिवार
22 सितंबर 1998 को देहरादून में जन्मी कुहू गर्ग के पिता अशोक कुमार उत्तराखंड के डीजीपी और 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे हैं। उनकी मां भी उन्हें शिक्षा और अनुशासन में हमेशा प्रोत्साहित करती थीं।
शिक्षा
कुहू ने अपनी शुरुआती पढ़ाई देहरादून के सेंट थॉमस कॉलेज से की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) से ग्रेजुएशन किया।
बैडमिंटन में करियर
खेल की शुरुआत
कुहू ने 9 साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू किया और 13 साल की उम्र में ही राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतना शुरू कर दिया।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियां
- राष्ट्रीय मेडल: 56
- अंतरराष्ट्रीय मेडल: 19
- विशेष उपलब्धि: 2018 में वर्ल्ड चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल तक पहुंचीं।
- मिक्स्ड डबल्स में उनकी रैंकिंग 34 थी।
IPS Kuhoo Garg विमेंस डबल्स और मिक्स्ड डबल्स दोनों में माहिर थीं।
चोट और करियर में बाधा
बैडमिंटन में कुहू का सफर शानदार रहा, लेकिन उनके घुटने में गंभीर चोट के कारण ऑपरेशन कराना पड़ा। डॉक्टर ने उन्हें आराम करने की सलाह दी। इसी दौरान कुहू ने अपनी दिशा बदली और सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की।
सिविल सेवा की तैयारी
सिविल सेवा का सफर कुहू के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है कुहू ने अपनी पढ़ाई के लिए कड़ी मेहनत की। उन्होंने बताया कि रोज़ाना 8-10 घंटे पढ़ाई की। प्रीलिम्स के समय पढ़ाई का समय 13 घंटे और मेन्स के दौरान 16 घंटे तक बढ़ गया था।
कुहू ने 2022 में अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की और पूरे भारत में 178वीं रैंक हासिल की।
बचपन से ही देश सेवा का जज्बा
IPS Kuhoo Garg के पिता एक आईपीएस अधिकारी थे। उन्हें बचपन से ही उनके काम और देशभक्ति ने प्रेरित किया। बैडमिंटन के जरिए देश का नाम रोशन करने के बाद, कुहू ने देश सेवा के लिए आईपीएस बनने का सपना पूरा किया।
IPS Kuhoo Garg के जीवन से सीख
कठिनाइयों को अवसर बनाना
कुहू गर्ग की कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में चुनौतियों को अवसर में बदलना ही सफलता की कुंजी है। उनका जीवन “जहां चाह वहां राह” की कहावत को दर्शाता है।
प्रेरणादायक मंत्र
- हर असफलता नई शुरुआत का मौका होती है।
- कठिन परिश्रम और आत्मविश्वास से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
वर्तमान में योगदान
आईपीएस बनने के बाद, कुहू गर्ग पुलिस सेवा में अपनी जिम्मेदारियां निभा रही हैं। वह समाज में महिलाओं की सुरक्षा और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
IPS Kuhoo Garg का जीवन हमें यह सिखाता है कि संघर्षों और चुनौतियों के बीच भी सफलता की राह बनाई जा सकती है। उनकी कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो किसी भी क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाने का सपना देखता है।
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