“Currency Swap Agreement: भारत और मालदीव ने 40 करोड़ डॉलर की करेंसी स्वैप डील पर हस्ताक्षर किए। जानिए इस समझौते के फायदे, करेंसी स्वैप का महत्व और इसका दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव।”
Currency Swap Agreement: भारत और मालदीव ने सोमवार को 40 करोड़ डॉलर (करीब 3 हजार करोड़ रुपये) की करेंसी स्वैप (मुद्रा अदला-बदली) के समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को मजबूत करना और मालदीव को विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserve) से संबंधित समस्याओं से निपटने में मदद करना है।
महत्वपूर्ण बैठक
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अपने पांच दिवसीय दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। 7 अक्टूबर को हुई इस बैठक में दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौते हुए, जिसमें करेंसी स्वैप करार भी शामिल था।
Currency Swap क्या है?
Currency Swap (करेंसी स्वैप) का मतलब है दो देशों या संस्थाओं के बीच मुद्राओं की अदला-बदली। इस समझौते के तहत दोनों देश एक-दूसरे की Currency (मुद्रा) का उपयोग करके अपनी आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। इसका उद्देश्य वित्तीय स्थिरता बनाए रखना और मुद्रा भंडार की कमी को दूर करना होता है।
कैसे होता है Currency Swap (करेंसी स्वैप)?
Currency Swap Agreement: भारत-मालदीव करेंसी स्वैप समझौता 40 करोड़ डॉलर का करार के तहत दो देश विदेशी मुद्रा में कर्ज प्रदान करने के लिए सहमत होते हैं, और पुनर्भुगतान एक निश्चित समय और विनिमय दर पर दूसरी मुद्रा में किया जाता है। ब्याज दरें आमतौर पर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उपलब्ध ब्याज दरों से कम होती हैं, जिससे कर्ज लेने वाले देश को वित्तीय लाभ मिलता है।
भारत-मालदीव करेंसी स्वैप समझौता
इस ताजा समझौते के अनुसार, भारत मालदीव को अमेरिकी डॉलर जैसी विदेशी मुद्रा में कर्ज देगा, और मालदीव इसे तय ब्याज दर पर भारतीय रुपये में लौटाएगा। यह समझौता मालदीव के विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करेगा और आर्थिक स्थिरता प्रदान करेगा।
Currency Swap Agreement के फायदे
1. मुद्रा भंडार में स्थिरता
Currency Swap (करेंसी स्वैप) समझौते से देश के मुद्रा भंडार में कमी रोकने में मदद मिलती है। इससे देशों को अचानक मुद्रा संकट का सामना नहीं करना पड़ता है।
2. विनिमय दर का जोखिम कम
इस तरह के समझौतों से विनिमय दर में उतार-चढ़ाव से उत्पन्न होने वाले जोखिमों को कम किया जा सकता है। इससे दोनों देशों के बीच आर्थिक स्थिरता बनी रहती है।
3. शेयर बाजार और विदेशी विनिमय में स्थिरता
Currency Swap Agreement (करेंसी स्वैप एग्रीमेंट) से शेयर बाजार और विदेशी विनिमय दरों में स्थिरता आती है, जिससे आर्थिक गतिविधियों को स्थायित्व मिलता है।
4. सस्ती ब्याज दर पर कर्ज
इस समझौते के तहत देश सस्ती ब्याज दर पर कर्ज प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर दबाव कम होता है और निवेश की संभावनाएं बढ़ती हैं।
Currency Swap (करेंसी स्वैप) का वैश्विक महत्व
आर्थिक संकट से बचाव
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर Currency Swap Agreement (करेंसी स्वैप समझौते) देशों को आर्थिक संकट से बचने में मदद करते हैं। जब किसी देश की मुद्रा कमजोर होती है या उनके पास विदेशी मुद्रा भंडार की कमी होती है, तो वे ऐसे समझौतों के माध्यम से अपनी स्थिति को सुधार सकते हैं।
व्यापार और निवेश को बढ़ावा
Currency Swap (करेंसी स्वैप) से दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश में बढ़ावा मिलता है। इससे कंपनियां और सरकारें एक-दूसरे के साथ व्यापार करने में अधिक विश्वास महसूस करती हैं, क्योंकि उनकी मुद्रा की स्थिरता बनी रहती है।
भारत के अन्य देशों के साथ करेंसी स्वैप
भारत ने इससे पहले कई अन्य देशों के साथ भी Currency Swap Agreement (करेंसी स्वैप समझौते) किए हैं, जिसमें जापान, श्रीलंका, और भूटान जैसे पड़ोसी देश शामिल हैं। ये समझौते भारत की आर्थिक रणनीति का हिस्सा हैं, जिससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत किया जा सके और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संकटों से बचाव किया जा सके।
भारत-मालदीव के बीच हुए 40 करोड़ डॉलर के Currency Swap Agreement (करेंसी स्वैप समझौते) से न केवल दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध मजबूत होंगे, बल्कि मालदीव को आर्थिक स्थिरता प्राप्त करने में मदद मिलेगी। ऐसे समझौतों से वैश्विक स्तर पर आर्थिक सहयोग को बढ़ावा मिलता है और देशों को अपनी आर्थिक चुनौतियों से निपटने में सहायता मिलती है।
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