“Electoral-bonds के बारे में सम्पूर्ण जानकारी: क्या हैं चुनावी बांड, इनका उपयोग कैसे होता है, और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय क्या है।”
सुप्रीम कोर्ट द्वारा Electoral-bonds के खिलाफ हाल ही में जारी निर्णय के परिणामस्वरूप, इस प्रकार की धारावाहिकता को नकारा गया है, जो राजनीतिक दलों के वित्तपोषण के लिए उपयोग की जाती है। चुनावी बांड प्रणाली का प्रस्ताव 2017 में वित्त विधेयक के अंतर्गत पेश किया गया था और 2018 में लागू किया गया था। यह वित्तीय प्रणाली राजनीतिक दलों को अनामित रूप से चंदा प्राप्त करने के लिए एक साधन के रूप में काम करती है, जो लोगों और संस्थाओं द्वारा किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य राजनीतिक पारदर्शिता में वृद्धि करना है।
Electoral-bonds के अनुसार, केवल वे राजनीतिक दल योग्य होते हैं जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत हैं। इसके अलावा, उन्हें पिछले आम चुनाव में लोकसभा या विधानसभा के लिए डाले गए वोटों में से कम-से-कम 1% वोट हासिल करना चाहिए। यदि उन्हें ये मापदंड पूरे होते हैं, तो वे चुनावी बांड के लिए पात्र होते हैं।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने Electoral-bonds को असंवैधानिक मानकर इस पर रोक लगाई है। कोर्ट ने इसे केवल असंवैधानिक नहीं बताया है बल्कि इसके बारे में पूरी जानकारी भी मांगी है। इस निर्णय के बाद, स्टेट बैंक को चुनावी बांड की संपूर्ण जानकारी को सार्वजनिक करने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को चंदा प्राप्ति के लिए बारह माह की अवधि की अनिवार्य आवश्यकता को नकारा है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि चंदा उनकी वित्तीय स्थिति को प्रकट करे और चंदा का प्रयोग केवल चुनावी उद्देश्यों के लिए हो।
क्या है Electoral-bonds?
चुनावी बांड प्रणाली को वर्ष 2017 में एक वित्त विधेयक के माध्यम से पेश किया गया था, और यह वर्ष 2018 में लागू किया गया। यह दान देने का एक साधन है जो व्यक्तियों और संस्थाओं को राजनीतिक दलों के लिए वित्तीय समर्थन प्रदान करता है।
क्यों इसका मामला सुप्रीम कोर्ट में गया?
सुप्रीम कोर्ट में Electoral-bonds की वैधता पर विवाद उठा, क्योंकि पहले इस प्रणाली में दाता की गुमनामी बनाए रखने का सुझाव था।
क्या इसकी कोई जानकारी किसी को दी जाती है?
पहले चुनावी बांड के जरिए जमा होने वाला पैसा गुमनाम रहता था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, इसकी पूरी जानकारी सार्वजनिक होने लगी है।
कैसे खरीदी जाती हैं और किसके लिए?
चुनावी बांड को भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से खरीदा जा सकता है। इनको कोई भी नागरिक, कंपनी या संस्था खरीद सकती है और इनका उपयोग किसी भी राजनीतिक पार्टी को दान करने के लिए किया जा सकता है।
कोर्ट ने स्टेट बैंक को Electoral-bonds बेचने पर रोक लगाई है और इस प्रणाली की वैधता पर सवाल उठाया है। अब इसकी पूरी जानकारी को सार्वजनिक किया जाना होगा।
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