“Currency Swap (करेंसी स्वैप) समझौता देशों के बीच Currency (मुद्राओं) की अदला-बदली कर आर्थिक स्थिरता बनाए रखने और मुद्रा भंडार को मजबूत करने में सहायक होता है। जानें इसके फायदे और वैश्विक अर्थव्यवस्था में इसका महत्व।”
Currency Swap (करेंसी स्वैप) एक वित्तीय समझौता है, जो दो देशों या संस्थाओं के बीच Currency (मुद्राओं) की अदला-बदली को दर्शाता है। इस समझौते के तहत दोनों देश या संस्थाएं एक-दूसरे की Currency (मुद्रा) का उपयोग करके अपनी आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य वित्तीय स्थिरता को बनाए रखना और मुद्रा भंडार की कमी को पूरा करना होता है। वैश्विक व्यापार और निवेश में तेजी लाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
Currency Swap (करेंसी स्वैप) कैसे काम करता है?
Currency Swap (करेंसी स्वैप) समझौते के तहत दो देश अपनी-अपनी Foreign Currency (विदेशी मुद्रा) में एक निश्चित राशि उधार देते हैं और यह कर्ज एक निर्धारित समय सीमा और पूर्व निर्धारित विनिमय दर पर वापस किया जाता है। आमतौर पर, इन समझौतों में ब्याज दरें अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उपलब्ध दरों से कम होती हैं, जो कर्ज लेने वाले देश के लिए फायदेमंद साबित होती हैं।
इस समझौते के तहत कर्ज और पुनर्भुगतान एक तय समय और दर पर होता है। यह विनिमय दरें उस समय बाजार दरों पर आधारित होती हैं, जिससे दोनों पक्षों के लिए जोखिम कम किया जाता है। पुनर्भुगतान का समय भी दोनों पक्षों के बीच तय होता है, ताकि उनके आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखा जा सके।
Currency Swap (करेंसी स्वैप) के फायदे
1. मुद्रा भंडार में स्थिरता
Currency Swap (करेंसी स्वैप) समझौते से देश के मुद्रा भंडार में स्थिरता बनी रहती है। जब किसी देश को अपनी मुद्रा में संकट का सामना करना पड़ता है, तब यह समझौता विदेशी मुद्रा की उपलब्धता सुनिश्चित करता है और संकट को रोकने में मदद करता है।
2. विनिमय दर का जोखिम कम
Currency Swap (करेंसी स्वैप) समझौते विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव के कारण उत्पन्न होने वाले जोखिमों को कम करते हैं। इससे दोनों देशों के बीच आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलती है।
3. शेयर बाजार और विदेशी विनिमय दर में स्थिरता
इस प्रकार के समझौतों से शेयर बाजार और विदेशी विनिमय दरों में स्थिरता आती है। यह स्थिरता आर्थिक गतिविधियों के विकास को स्थायी रूप से बढ़ावा देती है।
4. सस्ती ब्याज दर पर कर्ज
देशों को सस्ती ब्याज दर पर कर्ज प्राप्त करने का अवसर मिलता है, जो उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाता है और निवेश के अवसरों को प्रोत्साहित करता है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में करेंसी स्वैप का महत्व
1. आर्थिक संकट से बचाव
Currency Swap Agreement (करेंसी स्वैप समझौता) देशों को आर्थिक संकट से बचाने में मदद करता है। जब किसी देश की Currency (मुद्रा) कमजोर होती है या उनके पास विदेशी मुद्रा भंडार की कमी होती है, तब इस समझौते के माध्यम से वे अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं।
2. व्यापार और निवेश को बढ़ावा
करेंसी स्वैप से दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिलता है। इससे कंपनियों और सरकारों के बीच व्यापारिक समझौतों में स्थिरता आती है और वैश्विक व्यापारिक संबंध मजबूत होते हैं।
3. मुद्रा स्थिरता
Currency Swap (करेंसी स्वैप) समझौते से International Money Market (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार) में स्थिरता बनी रहती है। यह समझौते उन देशों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होते हैं जिनकी मुद्राएं अस्थिर होती हैं, क्योंकि वे वैश्विक स्तर पर अपनी मुद्रा के मूल्य को बनाए रख सकते हैं।
भारत के Currency Swap (करेंसी स्वैप) समझौते
भारत ने कई देशों के साथ Currency Swap Agreement किए हैं, जिनमें जापान, श्रीलंका, भूटान जैसे पड़ोसी देश शामिल हैं। ये समझौते भारत की आर्थिक रणनीति का हिस्सा हैं, जिससे देश का Foreign Exchange Reserves (विदेशी मुद्रा भंडार) मजबूत होता है और भारत अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संकटों से बच सकता है।
भारत-जापान करेंसी स्वैप
भारत और जापान के बीच $75 बिलियन का Currency Swap Agreement 2018 में हुआ था। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच आर्थिक स्थिरता और सहयोग को बढ़ाना था। यह समझौता भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूती देने और आर्थिक संकट के समय सुरक्षा प्रदान करने में सहायक रहा है।
श्रीलंका और भूटान के साथ स्वैप समझौते
श्रीलंका और भूटान के साथ हुए Currency Swap (करेंसी स्वैप) समझौतों का उद्देश्य इन देशों को आर्थिक संकट से बचाने और क्षेत्रीय आर्थिक स्थिरता बनाए रखना था। इसके साथ ही, यह समझौते भारत की अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक नीतियों का हिस्सा हैं।
Currency Swap (करेंसी स्वैप) वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल देशों को आर्थिक संकट से बचाने में सहायक होता है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश के क्षेत्र में स्थिरता भी प्रदान करता है। भारत सहित कई देश इस समझौते का उपयोग अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए कर रहे हैं।
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